उत्तर प्रदेश में नव निर्वाचित ब्राह्मण विधायकों की सूची
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हमारा देश आज भी जाति बिशेष बनकर रह गयी है ।
1. प्रतिभा शुक्ला - अकबरपुर रनिया
2. योगेंद्र उपाध्याय- आगरा
3. अमिताभ बाजपेयी- आर्यनगर कानपुर
4. सतीष चन्द त्रिवेदी-इटवा
5. हर्षवर्धन बाजपेयी-इलाहाबाद
6. मनोज कुमार पांडेय-ऊचाहार
7. चन्द्रम प्रकाश शुक्ल _ कप्तान गंज
8. जटाशंकर त्रिपाठी - खड्डा
9. जय चौबे- खलीलाबाद
10. चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय- चित्रकूट
11. विनय शंकर तिवारी-चिल्लूपार
12. अर्चना पाण्डे - छिबरामऊ
13. विजय मिश्र -ज्ञानपुर
14. रितेश पाण्डे -जलालपुर
15. प्रेम नारायण पांडेय -तरबगंज
16. कैलाश नाथ शुक्ल -तुलसी पुर
17. अमन मणि त्रिपाठी -नौतनवा
18. सुभाष त्रिपाठी -पयागपुर
19. उपेंद्र तिवारी -फेफना
20. सुनील दत्त द्विवेदी -फरुखाबाद
21. आराधना मिश्र- रामपुर
22. ब्रजेश पाठक -लखनऊ
23. देवमणि द्विवेदी -लम्भुआ
24. नीलकांत तिवारी -वाराणसी
25. रजनी तिवारी- शाहबाद
26. ज्ञान तिवारी -सेवता
27. शीतल पांडे- सहजनवा
28. अविनाश त्रिवेदी- बक्शी का तलाब
29. रामनरेश अग्निहोत्री -भोगांव
30. लीना तिवारी- मडियाहू
31. सुरेश तिवारी -बरहज
32. प्रकाश द्विवेदी -बांदा
33. राजेश कुमार मिश्र -बिथरी
34. ह्रदय नारायण दिक्षित -भगवंतनगर
35. रवींद्र नाथ त्रिपाठी -भदौही
36. भूपेष चौबे -राबर्ट्सगंज
37. कमलेश शुक्ल -रामनगर
38. शरद कुमार अवस्थी -रामनगर
39. अनिल पाराशर -कोल
40. अरविंद गिरि- गोकर्णनाथ
41. सत्य देव पचौरी -गोविंदनगर
42. रवि शर्मा- झांसी
43. सतीष चन्द शर्मा -दरियाबाद
44. रीता बहुगुणा जोशी -लखनऊ
45. श्रीकांत शर्मा -मथुरा
46. नीलम करवरिया- मेजा (इलाo)
47. राकेश गौस्वामी- महोबा
48. श्याम सुंदर शर्मा- मांट
49- महेश चंद्र त्रिवेदी- किदवई नगर
50. राधा क्रषण शर्मा- बिल्सी
51. सुनील शर्मा - साहिबाबाद
52. रामवीर उपाध्याय- सादाबाद
53. बाला प्रसाद अवस्थी- धौरहरा
54. शशांक त्रिवेदी- महोली
55- अलका राय- मोहम्मदाबाद (गाजीपुर)
56. रत्नाकर मिश्रा- मिर्ज़ापुर
57. रमेश चंद्र मिश्रा- बदलापुर
58. कमलेश शुक्ल- रामपुरकरखाना
59- इंद्रप्रताप उर्फ़ खब्बू तिवारी- गोसाईगंज
60- राम फेरन पांडेय - श्रावस्ती
61- आशुतोष उपाध्याय - भाटपार रानी
62- विनय द्विवेदी उर्फ़ बिन्नू भैया- मेहनोंन (गोंडा)
63- आनंद स्वरूप शुक्ला- बलिया
पँ अवनी
इतने सारे विधायक अगर यादव होते तो जातिवाद फ़ैल जाता, और बड़े शर्म की बात होती है कि दूसरे तो बाद में बोलते पहले तथाकथित यादव(ऐसे नकली यादवो की वजह से ही हम आज तक पिछड़े हुए है क्योंकि ये सामजिक संगठन का धर्म निभाने में बड़ी शर्म महसूस करते है। ) ही इसे जातिवाद घोषित कर देते। कैसा लचीला जातिवाद है ये।😟😟